सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जून, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा sanyukt rashtra sangh mahasabha

संयुक्त राष्ट्र संघ के कुल 6 अंग हैं, जिनमें से एक का नाम है महासभा। इसको साधारण सभा भी कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ 24 अक्टूबर 1945 से विधिवत रूप में अस्तित्व में आया। संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 प्रमुख अंग निम्नलिखित हैं- महासभा/साधारण सभा सुरक्षा परिषद सचिवालय न्यास परिषद आर्थिक और सामाजिक परिषद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय महासभा या साधारण सभा संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्थापिका सभा कहा जाता है। सीनेटर वेण्डन बर्ग ने इसे विश्व की लघु संसद की संज्ञा दी है। शूमाँ ने इसे संसार की नागरिक सभा कहा है। डेविड कुशमैन के अनुसार साधारण सभा संयुक्त राष्ट्र संघ का केंद्रीय प्रमुख अंग है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह एक राजनीतिक मंच के रूप में सामने आया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की साधारण सभा महासभा का संगठन  महासभा में सभी देशों को, जो सदस्य हैं, समानता के आधार पर प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है, प्रत्येक देश को बिना किसी भेदभाव के एक मत देने का अधिकार दिया गया है, यद्यपि वह अपने 5 प्रतिनिधि (पांच वैकल्पिक प्रतिनिधियों) सहित भेज सकते

शीत युद्ध Cold War

द्वितीय महायुद्ध के बाद की अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण विकास शीत युद्ध है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में दो महाशक्तियों का उदय हुआ और इन महाशक्तियों सोवियत संघ व संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने एक दूसरे को प्रभावित करने के लिए छद्द्म युद्ध की स्थिति उत्पन्न की। वह शीत युद्ध के नाम से जानी गई। शीत युद्ध शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिका के बर्नार्ड बारुच ने 16 अप्रैल 1947 को किया उन्होंने एक भाषण मैं कहा था कि "हमें धोखे में नहीं रहना चाहिए हम शीत युद्ध के मध्य रह रहे हैं।" इसके बाद इस शब्द का प्रयोग महाशक्तियों के तनावपूर्ण संबंधों का प्रतीक बन गया।                       शीत युद्ध वास्तविक युद्ध न होकर एक वाक युद्ध है। इसमें कूटनीतिक शक्ति के माध्यम से युद्ध का सा वातावरण प्रचार के माध्यम से बना दिया जाता है। यह सैद्धांतिक वह वैचारिक संघर्ष है।  जवाहरलाल नेहरू के अनुसार, "शीत युद्ध पुरातन शक्ति संतुलन की अवधारणा का नया रूप है। यह दो विचारधाराओं का संघर्ष न होकर दो भीमाकार दैत्यों का आपसी संघर्ष है।" जॉन फोस्टर डलेस के अनु