सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

व्यवस्थापिका Administrator

व्यवस्थापिका Administrator  भारतीय संविधान में यह व्यवस्था दी गई है कि शासन जनता का, जनता के लिए होगा। जनता अपने मत द्वारा प्रतिनिधियों को चुनती है। ये जनता के चुने हुए प्रतिनिधि विधानमंडल और संसद में बैठकर कानून और नीति बनाते हैं। जनता के यह चुने हुए प्रतिनिधि लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद की सामूहिक शक्ति के रूप में व्यवस्थापिका कहलाते हैं। व्यवस्थापिका जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का वह समूह है जो देश के लिए कानून बनाता है।व्यवस्थापिका केंद्र और राज्य स्तर पर अलग अलग होती है। केंद्र में कानून बनाने का कार्य संसद और राज्य में उस राज्य का विधान मंडल करता है। संसद के दो सदन होते हैं। निम्न सदन को लोकसभा और उच्च सदन को राज्यसभा कहा जाता है। भारत का राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है। लोकसभा का गठन  लोकसभा का गठन प्रत्यक्ष रूप से भारत के नागरिकों द्वारा किया जाता है। भारत के प्रत्येक 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के नागरिक को लोकसभा के सदस्यों के चुनाव में मतदान का अधिकार है। यह संसद का निम्न सदन है। संविधान के अनुसार इस सदन की अधिकतम सदस्य संख्या 552 हो सकती है । योग्

Economy: vikash ke adhar pr arthvayvastha

विकास के स्तर के आधार पर   अर्थव्यवस्था विकास के स्तर के आधार पर  अर्थव्यवस्था को दो भागों में बांट सकते हैं- 1.  विकसित अर्थव्यवस्था  2.  विकासशील  अर्थव्यवस्था विकसित अर्थव्यवस्था  विकसित अर्थव्यवस्था से तात्पर्य ऐसी अर्थव्यवस्था से है जो अपने साधनों का कुशलतम उपयोग करती है, जिनकी प्रति व्यक्ति आय तथा रहन-सहन का स्तर काफी ऊंचा होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, जापान, फ्रांस आदि देशों की अर्थव्यवस्थाएँ इसी श्रेणी में शामिल की जाती है। इन अर्थव्यवस्थाओं की मुख्य विशेषताओं में ऊंची प्रति व्यक्ति आय, पूंजी निर्माण की ऊंची दर, शहरी जनसंख्या का अधिक अनुपात, विकसित आधार-भूत संरचना, उच्च तकनीक का प्रयोग, व्यवसायिक ढांचे में उद्योग  व सेवा की प्रधानता आदि प्रमुख है। विकासशील अर्थव्यवस्था  विकासशील अर्थव्यवस्था को कुछ अर्थशास्त्री अल्प विकसित, पिछड़ी तथा निर्धन अर्थव्यवस्थाएँ भी कहते हैं, किंतु इन नामों में विकासशील शब्द ही अधिक उपयुक्त प्रतीत होता है। विकासशील अर्थव्यवस्था से तात्पर्य ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसने अपने विकास की प्रक्रिया तो प्रारंभ कर दी है परंतु अभी

Economy अर्थव्यवस्था

Economy  अर्थव्यवस्था : उत्पादन के साधनों का स्वामित्व के आधार पर अर्थशास्त्र में व्यक्तियों एवं समाज के बीच लेनदेन का अध्ययन किया जाता है। अर्थव्यवस्था का अर्थ  जब हम लोगों के क्रियाकलापों को देखते हैं तो यह पाते हैं कि अलग-अलग लोग अलग-अलग कार्यों में लगे हुए हैं। किसान खेती कर रहा है, दुकानदार अपनी दुकान चलाता है, अध्यापक विद्यालय में पढ़ाता है, डॉक्टर अस्पताल में बीमार मरीजों का इलाज करता है। यह सभी लोग अपनी आजीविका कमाने के लिए कार्य करते हैं । जीविकोपार्जन के इन कार्यों को करने के लिए किसी संगठन, प्रणाली या व्यवस्था का होना आवश्यक है। यह प्रणाली या व्यवस्था ही अर्थव्यवस्था कहलाती है। जिसके द्वारा लोग अपना जीविकोपार्जन करते हैं। हर मनुष्य की अनेक आवश्यकताएं होती हैं। उन्हें पूर्ण करने के लिए अनेक वस्तुओं तथा सेवाओं की आवश्यकता होती है। इन वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन के लिए उत्पादक को उत्पादन के विभिन्न साधनों की आवश्यकता पड़ती है। उत्पादन के साधनों को मुख्य रूप से पांच भागों में बांटा गया है भूमि, श्रम, पूंजी, प्रबंध एवं साहस। उत्पादन के इन विभिन्न साधनों के सम्मिलित प्

लोकतंत्र Democracy

भारतीय लोकतंत्र Indian Democracy स्वाधीन भारत में लोकतंत्र के संसदीय स्वरूप को संविधान निर्माताओं द्वारा स्वीकृत किया गया। 26 जनवरी 1950 को भारत प्रभुता संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य बना। लोकतंत्र आज की सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली मानी जाती है। भारत विश्व का विशालतम लोकतंत्र है। यह विशालतम इस रूप में है कि सरकार को निर्वाचित करने वाले भारतीय मतदाताओं की संख्या विश्व के अन्य किसी लोकतंत्र से सर्वाधिक है। जनता केंद्र व राज्य सरकारों के साथ स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के प्रतिनिधियों का भी निर्वाचन करती है।  इसके लिए संविधान निर्मात्री सभा ने भारत वासियों के लिए सार्वभौम व्यस्क मताधिकार के सिद्धांत को स्वीकार किया। बहुत से देश स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद लोकतांत्रिक बने लेकिन आगे जाकर उन्होंने लोकतंत्र को छोड़ दिया और सैनिक शासन से शासित होने लगे। भारत उन नवोदित स्वतंत्र देशों में से है जहां लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हो गई है।  लोकतंत्र का अर्थ लोकतंत्र का संबंध जनता के शासन से है। लोकतंत्र का अंग्रेजी शब्द डेमोक्रेसी Democracy है जो ग्रीक शब्द डेमो और कृतियां से मिलकर बना है। जिसका अर्

मूल कर्तव्य एंव नीति निदेशक तत्व Fundamental Duties and Directive Principles

मूल कर्तव्य एंव नीति निदेशक तत्व Fundamental Duties and Directive Principles  मूल कर्तव्य भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए संवैधानिक दायित्व है। वस्तुतः यह कर्तव्य देश में शांति एवं उन्नति को सुनिश्चित करने के लिए हैं। मूल कर्तव्य संविधान में 42वें संशोधन के द्वारा  1976 में सम्मिलित किए गए। इन कर्तव्यों का आयोजन नागरिकों में देशभक्ति की भावना में वृद्धि करना, राष्ट्र को मजबूत बनाना, देश की संप्रभुता तथा अखंडता की रक्षा करने तथा समरसता की भावना विकसित करना है। मूल कर्तव्य  इसके अनुसार प्रत्येक का यह कर्तव्य है कि- 1. संविधान का पालन करें तथा उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान का सम्मान करें। 2. स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें तथा उनका पालन करें। 3. भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें। 4. देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें। 5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो

मूल अधिकार Fundamental Rights

मूल अधिकार Fundamental Rights मूल अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किए गए हैं। मूल अधिकार  मौलिक एवं आधारभूत हैं। सभी व्यक्तियों को इनका उपभोग करने का अधिकार है। देश के प्रत्येक नागरिक के संतुलित एवं उत्तरदायित्व पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए यह अधिकार नितांत आवश्यक है। यदि किसी नागरिक को इन अधिकारों से वंचित किया जाता है तो वह सर्वोच्च न्यायालय की शरण में जा सकता है। यही एक महत्वपूर्ण कारण है जो इन अधिकारों को मौलिक स्वरूप प्रदान करता है लोकतांत्रिक देश होने के कारण यहां के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण निम्न प्रकार हैं- 1. समानता का अधिकार  भारत के संविधान अनुसार राज्य के सभी नागरिकों को कानून का संरक्षण समान रूप से प्राप्त है। यानी क्षमता के अधिकारों में यह बात नहीं है कि जाति लिंग जन्म स्थान वर्ण अथवा पंथ के आधार पर राज्य नागरिकों में भेदभाव नहीं करेगा। सभी व्यक्ति सरकारी नौकरी हेतु आवेदन कर सकते हैं। राज्य नियुक्तियों में कोई भेदभाव नहीं करेगा। राज्य सेवाओं में आरक्षण के द्वारा पिछड़े वर्ग के लोगों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व का प्रावधान क

Bharat ka Samvidhan

संविधान CONSTITUTION विश्व में प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना संविधान होता है जो कि एक कानूनी आलेख होता है जिसके अनुसार किसी देश की सरकार कार्य करती है। यानी संविधान एक ऐसा आधारभूत कानून है जिसके आधार पर किसी देश के नियम बनाए जाते हैं। यह सरकार के मुख्य अंग विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की व्यवस्था करता है। संविधान प्रत्येक अंग के अधिकारों को परिभाषित ही नहीं करता है अपितु उसके उत्तरदायित्व भी सुनिश्चित करता है। संविधान में सरकार की शक्तियां स्पष्ट रूप से परिभाषित रहती हैं। सरकार तथा नागरिकों की गतिविधियों की सीमाएं किस प्रकार निर्धारित की जाए यह संविधान द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। भारत का संविधान  Constitution of India संविधान को तैयार करते वक्त बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी समेत अन्य का यह मानना था कि भारत का संविधान भारतीयों की इच्छा अनुसार होना चाहिए। कांग्रेस ने 1924 में संविधान सभा के विचार का प्रतिपादन किया और प्रत्येक आगामी अधिवेशन में संविधान निर्माण हेतु संविधान निर्मात्री सभा के गठन की बात कही। अगस्त 1940 में ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार किया कि भारत का