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संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा sanyukt rashtra sangh mahasabha

संयुक्त राष्ट्र संघ के कुल 6 अंग हैं, जिनमें से एक का नाम है महासभा। इसको साधारण सभा भी कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ 24 अक्टूबर 1945 से विधिवत रूप में अस्तित्व में आया। संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 प्रमुख अंग निम्नलिखित हैं-
  1. महासभा/साधारण सभा
  2. सुरक्षा परिषद
  3. सचिवालय
  4. न्यास परिषद
  5. आर्थिक और सामाजिक परिषद
  6. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
महासभा या साधारण सभा संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्थापिका सभा कहा जाता है।
सीनेटर वेण्डन बर्ग ने इसे विश्व की लघु संसद की संज्ञा दी है। शूमाँ ने इसे संसार की नागरिक सभा कहा है। डेविड कुशमैन के अनुसार साधारण सभा संयुक्त राष्ट्र संघ का केंद्रीय प्रमुख अंग है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह एक राजनीतिक मंच के रूप में सामने आया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की साधारण सभा महासभा का संगठन 

महासभा में सभी देशों को, जो सदस्य हैं, समानता के आधार पर प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है, प्रत्येक देश को बिना किसी भेदभाव के एक मत देने का अधिकार दिया गया है, यद्यपि वह अपने 5 प्रतिनिधि (पांच वैकल्पिक प्रतिनिधियों) सहित भेज सकते हैं। वर्तमान में महासभा के सदस्यों की संख्या 193 है। महासभा का एक अध्यक्ष और साथ उपाध्यक्ष होते हैं। सदस्यों द्वारा प्रत्येक अधिवेशन के लिए अपना सभापति चुना जाता है। संयुक्त राष्ट्र के समस्त सदस्यों को महासभा में बैठने का अधिकार है।

सभापति तथा उपसभापति 

प्रतिवर्ष महा सभा के सभापति का निर्वाचन होता है। सामान्यतः सभापति किसी छोटे देश से लिया जाता है। खासकर 5 समूहों -अफ्रीकी, एशियाई, लेटिन अमेरिकी, पूर्वी यूरोपीय और पश्चिमी यूरोपीय तथा अन्य राज्यों में बारी-बारी से उसका चयन होता है। सभापति महासभा की कार्यवाही का संचालन करने का कार्य करता है। महासभा अपने प्रथम अधिवेशन में ही सभापति के अतिरिक्त सात उपसभापति यों का चुनाव भी करती है।

मतदान पद्धती 

महासभा में एक राज्य एक वोट के सिद्धांत को मान्यता देकर छोटे-बड़े राष्ट्रों का भेद समाप्त कर दिया गया है। यह व्यवस्था चार्टर के अनुच्छेद 18 के तहत की गई है। महत्वपूर्ण प्रश्नों पर महासभा के निर्णय उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से होंगे और अन्य प्रश्नों पर निर्णय, जिनमें दो तिहाई बहुमत द्वारा निर्णय किए जाने वाले प्रश्नों के अतिरिक्त प्रवर्गों का निर्धारण भी सम्मिलित है, उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा किया जाएगा। महत्वपूर्ण प्रश्न/ विषय है- शांति तथा सुरक्षा, राष्ट्रों को सदस्यता प्रदान करना, निलंबित अथवा निष्कासित करना, परिषद के सदस्यों का निर्वाचन इत्यादि।

महासभा के अधिकार और कर्तव्य 

महासभा सुरक्षा परिषद की स्वीकृति प्राप्त होने पर ही नए सदस्यों को पद ग्रहण करने की अनुमति देती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों की नियुक्ति भी महासभा सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर करती है। महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद के 10 अस्थाई सदस्यों आर्थिक तथा सामाजिक परिषद के 54 सदस्यों एवं न्यास परिषद के अस्थाई सदस्यों का निर्वाचन होता है। महासभा एवं सुरक्षा परिषद दोनों को यह अधिकार समान रूप से मिला हुआ है कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सदस्यों को निर्वाचित कर सकें।
संयुक्त राष्ट्र संघ का आय व्यय बजट महासभा द्वारा ही स्वीकृत होता है। अतः महासभा का अन्य अंगों पर स्वत: आर्थिक नियंत्रण हो जाता है। महासभा किसी राष्ट्र को सुरक्षा परिषद के अनुरोध पर कुछ समय के लिए संघ की सदस्यता से हटा सकती है, किंतु यदि कोई चार्टर के आदेशों और सिद्धांतों की लगातार अवहेलना करता है तो सुरक्षा परिषद के अनुरोध पर महासभा उसे सदा के लिए निकाल सकती है।

महासभा के अधिवेशन 

महासभा की प्रत्येक वर्ष में सामान्य बैठक सितंबर में दूसरे मंगलवार से लेकर दिसंबर (क्रिसमस दिवस) तक होती है। जरुरत पड़ने पर विशेष अधिवेशन भी बुलाए जा सकते हैं,  साधारण वार्षिक अधिवेशन के अतिरिक्त यदि महासभा के सदस्य बहुमत से अधिवेशन की मांग करें, या सुरक्षा परिषद चाहे तो संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव 15 दिन के अंदर महासभा की बैठक बुला सकते हैं। विशेष व्यवस्था में सुरक्षा परिषद के 9 सदस्यों के अनुरोध पर 24 घंटे की सूचना पर विशेष अधिवेशन बुलाया जा सकता है। महासभा की बैठक साधारणत: न्यूयॉर्क में होती है। महासभा का पहला सामान्य अधिवेशन 10 जनवरी 1946 को संपन्न हुआ।

संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के कार्य

  1. शांतिपूर्ण समाधान संबंधी कार्य- राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को आघात पहुंचाने वाले किसी भी मामले के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सिफारिशें करना।
  2. शांति तथा सुरक्षा संबंधी कार्य- महासभा का एच्छिक कार्य शांति की स्थापना करना तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति के खतरे को दूर करना है। यह उन सभी प्रश्नों की तरफ सुरक्षा परिषद का ध्यान आकर्षित कर सकती है जिनके द्वारा विश्व शांति तथा सुरक्षा को खतरे की संभावना हो। यही नहीं महासभा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने सुझाव भी दे सकती है, जिससे सदस्य देशों में मैत्रीपूर्ण संबंध बने रहें।
  3. सुरक्षा तथा निशस्त्रीकरण संबंधी कार्य- एच्छिक कार्य के अंतर्गत महासभा सुरक्षा तथा निशस्त्रीकरण के लिए समस्त देशों में सहयोग स्थापना की चेष्टा करता है। यह राजनीतिक क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का कार्य भी करता है, ताकि सभी राष्ट्रों की सुरक्षा बनी रहे।
  4. विभिन्न क्षेत्रों के विकास संबंधी कार्य- महासभा अंतर्राष्ट्रीय विकास, अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय कानून के विकास और संहिताकरण, मानव अधिकारों और मूलभूत स्वतंत्रताओं की प्राप्ति तथा सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य संबंधित क्षेत्रों में आवश्यक अध्ययन को प्रेरित करना तथा इन सबके विकास के लिए समुचित अभिशंसा करना। 
  5. प्रतिवेदन प्राप्त करने संबंधी कार्य- महासभा सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य अंगों से रिपोर्ट या प्रतिवेदन प्राप्त करके उन पर विचार करता है। 
  6. न्यास समझोतों के अनुपालन का निरीक्षण कार्य- महासभा ने न्यास परिषद के माध्यम से न्यास समझौतों के अनुपालन का निरीक्षण कार्य किया।
  7. निरीक्षणात्मक कार्य- महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य सभी पांचों अंगों के कार्यों का निरीक्षण करती है। जरुरत पड़ने पर नियमन तथा नियंत्रण भी करती है। यह पांचों अंगों के वार्षिक कार्य प्रतिवेदन तथा अन्य विशिष्ट प्रतिवेदनों पर विचार करती है।
  8. वित्तीय कार्य- महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट को स्वीकार करती है तथा सदस्य राष्ट्रों से उनके लिए निर्धारित अंशदान प्राप्त करती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण के लिए वित्तीय व्यवस्था का प्रबंध भी महासभा ही करती है।
  9. संवैधानिक कार्य- आवश्यकता पड़ने पर महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में दो तिहाई बहुमत से संशोधन कर सकती है, किंतु इन संशोधनों को मान्यता तभी प्राप्त होती है जब संयुक्त राष्ट्र के दो तिहाई सदस्य स्थाई सदस्यों सहित इन संशोधनों को संवैधानिक प्रक्रिया से मान्यता प्रदान कर दें। 
  10. निर्वाचन तथा नियुक्ति संबंधी कार्य- महासभा निम्नलिखित पदों हेतु निर्वाचन तथा नियुक्ति की व्यवस्था करती है- (1) सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर नए देशों को अपनी सदस्यता प्रदान करना (2) सुरक्षा परिषद की अनुशंसा पर महासचिव की नियुक्ति (3) सुरक्षा परिषद के 10 अस्थाई सदस्यों को नियुक्त करना (4) आर्थिक तथा सामाजिक परिषद के सदस्य (5) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का निर्वाचन। 
  11. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से संबंधित कार्य- महासभा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्देश्य से आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शिक्षा तथा स्वास्थ्य के संबंध में अध्ययन व जांच-पड़ताल करता है तथा सिफारिशें करती है। प्रत्येक व्यक्ति को जाति, लिंग, भाषा या धर्म के भेदभाव के बिना मानव अधिकारों और मूल स्वतंत्रताओं की सिद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास के लिए महासभा अध्ययनों को आरंभ करा सकती है तथा सिफारिशें कर सकती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की साधारण सभा महासभा की भूमिका का मूल्यांकन

 विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग महासभा का अपना एक विशिष्ट स्थान है। महासभा की प्रतिष्ठा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विश्व शांति और सुरक्षा स्थापित करने में भी इसने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महासभा के अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा संबंधी प्रश्नों के समाधान में प्रमुख रुप से भाग लिया है। महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य सभी अंगो के कार्यों का निरीक्षण ही नहीं करती अपितु उनका मार्गदर्शन भी करती है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि महा सभा की बैठकों में गुटीयता उभरकर सामने आती है। आज विश्व कई गुटों में बटा हुआ है। जैसे- विकसित तथा विकासशील, एशियन, अफ्रीकन, लैटिन अमेरिका, यूरोपियन समूह इत्यादि। विश्व में उभरती समस्याओं पर गुटीय दृष्टि से विचार होता है। अमेरिका एवं यूरोप के देश पश्चिम के देशों का साथ देते हैं। यह देश संकीर्ण विचारधारा से ग्रसित होने के कारण विकासशील एशिया -अफ्रीकन देशों की समस्याओं के प्रति कम गंभीर होते हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ की साधारण सभा के महत्व में वृद्धि के कारण

  1. शांति के लिए एकता प्रस्ताव- 3 नवंबर 1950 को शांति के लिए एकता प्रस्ताव पारित होने के बाद महासभा की शक्ति पहले की अपेक्षा बढ़ी है।
  2. शांति और सुरक्षा संबंधी मामलों पर विचार- जिस प्रकार सुरक्षा परिषद शांति और सुरक्षा संबंधी मामलों पर विचार कर सकती है, उसी प्रकार महासभा भी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा संबंधी प्रश्नों पर विचार कर सकती है। 
  3. निरीक्षणात्मक अधिकार- महासभा का निरीक्षणात्मक अधिकार इससे संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य अंगों की अपेक्षा कुछ अधिक स्थिति प्रदान करता है।
  4. विभिन्न क्षेत्रों के विकास संबंधी कार्य- महासभा द्वारा सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक इत्यादि क्षेत्रों में काम किया जा रहा है। इसके अलावा महासभा अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास, मानवाधिकार, नागरिकों की स्वतंत्रता इत्यादि के लिए भी कार्य कर रहा है। महासभा ने विभिन्न क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 
  5. सुरक्षा परिषद के बजाय महासभा अधिक उपयुक्त अंग/ संस्था- सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों द्वारा समय समय पर विशेषाधिकार (वीटो) का अनावश्यक प्रयोग किया गया, जिस कारण कई बार अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा सका। महासभा ने अधिकांशत: कार्य निरपेक्ष भाव से संपन्न किए हैं। महासभा की विश्व में एक अच्छी छवि बन रही है। 
  6. आपातकालीन सेवा- आपातकालीन सेवा की नियुक्ति से महासभा की शक्ति और महत्ता में वृद्धि हुई है। 
  7. बढ़ती सदस्य संख्या संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्यों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य महासभा के भी सदस्य होते हैं, अतः महासभा के सदस्यों की संख्या भी निरंतर बढ़ती जा रही है।
  8. बजट संबंधी कार्य- महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट पर विचार करती है और उसे स्वीकार करती है। इसके अलावा यह विशिष्ट अभिकरणों के बजटों की जांच भी करती है।

सुरक्षा परिषद तथा महासभा में पारस्परिक संबंध

महासभा एवं सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के प्रमुखतम अंग हैं। महासभा को कुछ विद्वान विश्व की लघु संसद तथा सुरक्षा परिषद को संघ की कार्यपालिका शक्ति कहकर पुकारते हैं। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार दोनों अंगों का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है। कुछ मामलों में दोनों आपस में मिलकर काम करती हैं, जैसे -अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का निर्वाचन करना। कोई भी राज्य संयुक्त राष्ट्र का सदस्य तभी बनाया जा सकता है जब उसके प्रार्थना पत्र पर सुरक्षा परिषद अपनी सहमति प्रदान करें तथा महासभा निर्धारित बहुमत से उस पर निर्णय ले। इस प्रकार सदस्यों के निलंबन तथा निष्कासन के विषय में महासभा तथा सुरक्षा परिषद दोनों मिलकर कार्य करती हैं। इन कार्यों के लिए दोनों ही अंगों का योगदान आवश्यक है। यदि इनमें से एक भी संस्था विरोधी मत प्रकट करती है तो उस प्रश्न पर निर्णय असंभव हो जाता है।
सुरक्षा परिषद को अपनी वार्षिक रिपोर्ट महासभा को भेजनी पड़ती है। इसके अलावा सुरक्षा परिषद के बजट को भी महासभा पारित करती है। विश्व में शांति एवं सुरक्षा की व्यवस्था बनाए रखना सुरक्षा परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी है। जब सुरक्षा परिषद अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में असमर्थ या असफल रहती हैं तो महासभा इस विषय में भी कार्यवाही कर सकती है। शांति के लिए एकता प्रस्ताव 1950 में महासभा को यह शक्ति प्रदान की है। संक्षेप में संयुक्त राष्ट्र संघ अपने उद्देश्य को तभी प्राप्त कर सकता है जबकि महासभा तथा सुरक्षा परिषद एक दूसरे के साथ सहयोग करें तथा मिलकर अंतर्राष्ट्रीय संकटों का निवारण करें।

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